Kumaoni Holi

 

1.    सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन!

सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन!
होली खेले गिरजपति नंदन ()
गौरी को नंदन मूसा को वाहन
होली खेले गिरजपति नंदन
ला हो भवानी अक्षत चन्दन, होली खेले गिरजपति नंदन... 
गज मोतियाँ के चौक पुराऊ! ..
होली खेले गिरजपति नंदन
ताल बजावे अंजन कंचन..
होली खेले गिरजपति नंदन
डमरू बजावे शम्भू विभिषण...
होली खेले गिरजपति नंदन

 

2.   मथुरा में खेले एक घडी

 मथुरा में खेले एक घडी,

मथुरा में खेले   एक घडी,
 
काहे के हाथ में डमरू बिराजे!
 
काहे के हाथ के लाल छड़ी,!!

 मथुरा में खेले एक घडी,
 
राधा के हाथ में डमरू विराजे!
 
कृष्ण के हाथ में लाल छड़ी!

मथुरा में खेले एक घडी,
 
काहे के सर में मुकुट विराजे!
 
काहे के सिर में है पगड़ी!

मथुरा में खेले एक घडी,
 
राधा के सिर में मुकुट विराजे!
 
कृष्ण के सिर में है पगड़ी!

मथुरा में खेले एक घडी..
 
काहे के सिर पर मोतियन लड़ी,
 
कहे के हाथ में मंजीरा सोहे!
 
काहे के हाथ के ताल खड़ी!

 मथुरा में खेले एक घडी,
 
राधा के हाथ में मंजीरा सोहे!
 
कृष्ण के हाथ के ताल खड़ी!

मथुरा में खेले एक घडी,
 
मथुरा में खेले एक घडी,
 
मथुरा में खेले एक घडी,

 

 

 

3.     बलमा घर आयो फागुन में 

 बलमा घर आयो फागुन में
 बलमा घर आयो फागुन में -
 
जबसे पिया परदेश सिधारे,
 
आम लगावे बागन में, बलमा घर
 
चैत मास में वन फल पाके,
 
आम जी पाके सावन में, बलमा घर
 
गऊ को गोबर आंगन लिपायो,
 
आये पिया में हर्ष भई,
 
मंगल काज करावन में, बलमा घर
 
प्रिय बिन बसन रहे सब मैले,
 
चोली चादर भिजावन में, बलमा घर
 
भोजन पान बानये मन से,
 
लड्डू पेड़ा लावन में, बलमा घर
 
सुन्दर तेल फुलेल लगायो,
 
स्योनिषश्रृंगार करावन में, बलमा घर
 
बसन आभूषण साज सजाये,
 
लागि रही पहिरावन में, बलमा घर

 

 

 

 

 

 

 

 

4.   शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
शिव के मन माहि बसे काशी -
 
आधी काशी में बामन बनिया,
 
आधी काशी में सन्यासी, शिव के मन
 
काही करन को बामन बनिया,
 
काही करन को सन्यासी, शिव के मन
 
पूजा करन को बामन बनिया,
 
सेवा करन को सन्यासी, शिव के मन
 
काही को पूजे बामन बनिया,
 
काही को पूजे सन्यासी, शिव के मन
 
देवी को पूजे बामन बनिया,
 
शिव को पूजे सन्यासी, शिव के मन
 
क्या इच्छा पूजे बामन बनिया,
 
क्या इच्छा पूजे सन्यासी, शिव के मन
 
नव सिद्धि पूजे बामन बनिया,
 
अष्ट सिद्धि पूजे सन्यासी, शिव के मन

 

5.   हाँ हाँ जी हाँ, सीता वन में अकेली कैसे रही है 

हाँ हाँ जी हाँ, सीता वन में अकेली कैसे रही है
 
कैसे रही दिन रात, सीता वन में
 
हाँ हाँ जी हाँ, सीता रंग महल को छोड़ चली है
 
वन में कुटिया बनाई, सीता वन में
 
हाँ हाँ जी हाँ, सीता षटरस भोजन छोडचली है
 
वन में कन्दमूल फल खाई, सीता वन में
 
हाँ हाँ जी हाँ, सीता तेल फुलेल को छोडि चली है
 
वन में धूल रमाई, सीता वन में
 
हाँ हाँ जी हाँ, सीता कंदकारो छोड़ चली है
 
कंटक चरण चलाई, सीता वन में
 
कैसे रही दिन रात, सीता वन में।

 

6.   मोहन - कृष्ण पर यह होली

मत मारो मोहन मोको पिचकारी
मत मारो मोहन मोको पिचकारी
फूटे गागर भीज चूनर !
अडियो भीजे फुलकारी, मत मारो मोहन मोको पिचकारी
होले चलू छलके गगरी, मत मारो मोहन मोको पिचकारी
मै जो कहू कोई ग्वाल बात है!
आपु हो कृष्ण गिरधारी! मत मारो मोहन मोको पिचकारी
सासु खयारी नन्द घतेरू!
बूढ़ लो ससुरा दे गारी ! मत मारो मोहन मोको पिचकारी
दूजो कहे कोई ग्वाल बाल है!
चरण कमल की बलिहारी, !मत मारो मोहन मोको पिचकारी

 

7. आज अयोध्या में भई बधाई
 
आज अयोध्या में भई बधाई!
 
राम लक्षिमन  दोनों भाई! आज अयोध्या में भई         बधाई
 
घर पर दीपक जागन लागे!
 
गाणिकादिक सब मंगल गयी! आज अयोध्या में भई बधाई
 
इन्द्रादिक सब देखन आये!
 
आये नारद बीन बजाई ! आज अयोध्या में भई बधाई

 

 

 

 

8.          शिव  शंकर खेलत है होरी. साथ लिए गौर गोरी

 शिव  शंकर खेलत है होरी. साथ लिए गौर गोरीशिव   शंकर०...
 
अंग विभूत गले रुंड माला,
 
कानन नगन की जोड़ी,...     शिव शंकर०...
 
एक ओर से शिव शंकर चले,
 
एक ओर से खेलत है गारी... शिव शंकर०...
 
आप तो डमरू बजाये,
 
नाचे पारवती गारी! शिव शंकर०...
 
बाजत है मृदंग, ढप झांझर,
 
बजट बीनन की जोड़ी.. शिव शंकर०...

 

9.   जल कैसे भारू जमुना गहरी

जल कैसे भरूं जमुना गहरी,
जल कैसे भरूं जमुना गहरी,
ठाड़े भरूं राजा राम देखत हैं,
बैठी भरूं भीजे चुनरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
धीरे चलूं घर सास बुरी है,
धमकि चलूं छ्लके गगरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.
गोदी में बालक सर पर गागर,
परवत से उतरी गोरी.
जल कैसे भरूं जमुना गहरी.

 

10.   कुमांउनी होली

भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
कौन पुरी में जनम लियो है,
कौन पुरी में वास राधिका.... भलो जनम......
मथुरा पुरी में जनम लियो है,
गोकुल कीजो वास राधिका..... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
काहे के कोख में जनम लियो है,
कौन पिलाये दूध राधिका.. भलो जनम......
देवकि कोख में जनम लियो है
यशोदा पिलाये दूध राधिका... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
काहे के वंश में जनम लियो है
काहे के लाल कहाय राधिका... भलो जनम......
बसुदेव वंश में जनम लियो है
नंद के लाल कहाय राधिका...  भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में...2
बाल ही लीला करत है कन्हैया,
दधि माखन को खाय राधिका..... भलो जनम......
भलो भलो जनम लियो श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में  -2
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11.   जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
भाल बिराजे चंदन की... जय बोलो यशोदा नंदन की
मधुर मधुर स्वर बांस मुरलिया,
बाजत यशोदा नंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की .....
यमुना के तीरे  धेनु चरावे,
हाथ लकुटिया चंदन की, जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....
दुष्ट दलन कंसासुर मारे,
रक्षा करी सब संतन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की......
बृंदाबन में रास रच्यो है,
सहसन गोपी चंदन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....
सारा जग प्रभु चरण लुभाये,
सुख दायक दु: भंजन की जय बोलो यशोदा नंदन की
जय बोलो यशोदा नंदन की....

 

12.  श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी

श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..2
बिप्र सुदामा द्वार खडे हैं,
पूछत कृष्ण कहां हैं हरी, बिप्र सुदामा आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
हाजिर वासी गये जब भीतर,
द्वार खडे हैं बिप्र हरी, हाँ हाँ बिप्र हरी, बिप्र सुदामा  आये हरी
बालापन के मित्र हमारे,
रोकोनहीं क्षण मात्रहरी, हाँ हाँ क्षण मात्रहरी  बिप्र सुदामा  आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
बांह पकड के निकट बैठाये,
रुकमणी चरण दबाये हरी श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..2
तीन मुट्ठी तंदुल लाये,देने में आये लाज हरी, हाँ हाँ लाज हरी,
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..
दुख दरिद्र सब दूर कियो है,
सुख सम्पति सब दीजे हरी, हाँ हाँ दीजे हरी, बिप्र सुदामा आये हरी
श्याम मुरारी के दर्शन को जब बिप्र सुदामा आये हरी..

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

13.   होलि कसिकै खेलनुं
होलि कसिकै खेलनुं मन चैन बिना।
 
अशान्ति मची रै देश में सारा ऐसो स्वराज्य आज दिना।
 
कांग्रेस में दलबंदी है रै क्या करला यौं स्वराज्य लिना।
 
गुंडन हाथ में पर्वि पड़ी रै। हिन्दु मुसलमान लड़िया जिना
 
किसान जिमीदार अलग लड़ाया। धनिक ढेपु हालो खाड़ उना।
 
उधार लै मिलणो मुश्किल है ग्वे। घर में नि हांति चांदी सुना।
 
द्यो नि हूणा लै अकाल देखींछ अकरो हैग्वे ग्युँ और चना।
 
असली घ्यूं लै मिलनो नि हांति फैसन में जोर नान तिना।
 
जागा जागा में मारै काटै गोली चली रैछ देस उना।
 
होलि कसिकै खेलनुं मन चैन बिना।

 

14.   होली खड़ी
रंग सो है गुलाबी नैनन में।
फागुन मास की मस्त होरिन में
जादू जगा लाई सैनन में। रंग….
चन्द्रकला मुखमंडल सोहे
मधुरस बरसे बैनन में। रंग
बसन बसन्ती सजे सब अंगन
कौन उमंग उठी मन में रंग..
कोयल कूके आम की डाली
भँवरा गूँजे फूलन में। रंग..
चारुसिंगार सजी ब्रजबाला
फाग मची बृंदाबन में। रंग

 

15.   खड़ी होली
आली धूम मची बृज कुंजन में। आली
फूलि गये टेसु निकसि गये अमुवा, भँवर गुंजारत वन वन में। आली
आओ गोरी खेलन होली, हो मतवाली फागुन में। आली..
केशर को सब रंग बनो है, छिड़कत है सब सखियन में। आली
फाल्गुन मास सुहावन आली, उड़त गुलाल सजन तन में। आली..
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, खेले कन्हैया सखियन में। आली
बाजत ताल मृदंग सुहावन, गावत राग सु साजन में। आली..
महल-महल से ग्वालिन निकली, भूल रही है यौवन में। आलीकृ

16.  तुमको प्यारी नीद देवर तुमको प्यारी जोबन है!

तुमको प्यारी नीद देवर तुमको प्यारी जोबन है
 
अच्छा हां रे देवर कोयल बोले बागो में!
 
सहा बोले अमुवा  की  डाल  देवर!
 
अच्छा हां रे देवर रंग मलाल की कोठरी दीवा!
 
चौगुना दीप जलाय देवर !
 
अच्छा हा रहे देवर कटोरा तीक को देखो!
 
अचल हो देवर लाल पलंग पर लाल बिछौना !
 
लाल ही चादर ओड. देवर !
 
अच्छा हां रे द्वार छोटी पलंग पर जन ओड़े!
 
उलटी पलती होय देवर
 
अच्छा हा रे द्वार छोटी चादर दो जन ओडे

 खीचा ताई होय . देवर

 

 

17.  भर पिचकारी रंग डालो रे होली आयी रसिया

  भर पिचकारी रंग डालो रे होली आयी रसिया 
अबीर गुलाल के थाल भरे है केश्वर रंग छिड्काओ रे!
होली आयी रहे रसिया.. भर पिचकारी० .
हरा रंग डालो गुलाबी रंग डालो सब रंग में रंग!
डालो रे होली आयी रसिया!
भर पिचकारी० ...........
मै तेरा कान्हा तू मेरी राधा ठुमुक ठुमुक कर नाचो! '
रे होली आयी होली... भर पिचकारी

 

18.  रंग चंगिलो देवर घर एरेछो !

रंग चंगिलो देवर घर एरेछो !
मेरी नानो देवर घर एरेछो
मेरी सियोनी को बड़ना ले रेछो!
मेरी भलो भलो द्वार घर एरेछो!
कपाली की बिंदिया ले रेछो, मेरी नानो०
छम छम छम छम घुघुरू लेरेछो !
मेरी नानो देवर घर एरेछो !
छाति को मखिया लेरोछो!
मेरी देवर घर एरेछो, हो  मेरी देवर घर एरेछो,
रंग चंगिलो देवर घर एरेछो !

 

19.  होरी खेलन राम लखन आये

 होरी खेलन राम लखन आये,
 
लगे बसंत बुरी गये आभार,
 
चंपा केशर रंग छाये, होली खेलन!
 
रघुवर लक्ष्मण भारत शत्रुघन संग सखा, हनुमान आये!
 
फेट गुलाल हाथ पिचकारी, केशर कलश भरी आये!
 
हिलमिल फाग परस्पर खेरे राम लखन सखियन भाये,
 
तुलसीदास छवि देखि मगन भये
 
चरण कमल पर चित काये
 
होरी खेलन राम लखन आये,

 

 

20.  गोरी प्यारो लागो तेरो झंकारों

गोरी प्यारो लागो तेरो झंकारों! गोरी० ...
तुम हो ब्रज की सुंदर गोरी, मै मथुरा के मतवारी!
चुंदरी चादर सभी रंगे है, फागुन ऐसे रखवारो! गोरी० ...
सब सखिया मिल खेल रहे है, दिलवर को दिल है न्यारो!
अब के फागुन अर्ज करत है, दिल कर दे मतवारो!
ब्रज मंडल सब धूम मची है, खेलत साक़िया सब मारो! गोरी० ...
लपटी झपटी को ब्यथा मरोरे, मोरे मोहन पिचकारी!
घूघट खोल गुलाल गलत है, ब्रज करे वो बाजारों! गोरी० ...

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

21. हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुवर कन्हैया!
हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुवर कन्हैया!
कहाँ से राधा गोरी ! हरी सिर०
मथुरा से आयो कुंवर कन्हैया !
गोकुल से राधा गोरी ! हरी सिर०
कितने बरस को कुंवर कन्हैया !
कितने बरस की राधा गोरी ! हरी सिर०
बारह बरस को कुवर कन्हैया !
सात बरस राधा गोरी ! हरी सिर०
काही बरन कुंवर कन्हैया !

 

 

22.  एक और खेलत होरी

एक और खेलत होरी
 
एक और नंदन लाल वे !
 
कौन जी कावे मल्यागिरी चन्दन !
 
कौन निभाते तो तल्ला वे !
 
कृष्ण की कावे मलय गिरी चन्दन !
 
शामू की वभूति को टाला वे!
 
कौन जी खावे पान सुपारी !
 
कौन धतुरी का गल्ला वे!
 
कौन जी सोवे रंग महल में!
 
कौन शमशान बसाए वे!
 
कौन जी पहने मखमल खासा
 
शम्भू जी बाघम्बर  छावा वे !

 

23.   धरती बनी है जो अमर कोई
 
धरती जो बनी है अमर कोई!
 
नौ लाख तारे गगन बिराजै!
 
सूरज चले चंदा दोई धरती!
 
नौ लाख गंगा, भू में बिराजै!
 
यमुना बहे गंगा दोई धरती
 
नौ लाख योधा जंग मै बिराजै!
 
राम मई लछिमन दोई धरती!
 
नौ लाख देवी जग में बिराजै!
 
काली माई दोई धरती!
 
नौ लाख तपस्वी जंग में बिराजै!
 
ध्रुव भयो श्रवण दोई धरती!
 
नौ लाख नेता जग में बिराजै !
 
गाँधी ममो जवाहर दोई धरती !

 

24.  दधि लूटत नन्द को लाल, प्यारे मोहनिया

दधि लूटत नन्द को लाल, प्यारे मोहनिया -
 
कौन राजा के कुंवर कन्हैया, कौन लाला दधि खाय!
 
प्यारे मोहनिया!
 
नन्द राजा के कुंवर  कन्हैया, कृष्ण लला दधि खाय!
 
प्यारे मोहनिया!
 
कहाँ की तुम ग्वाल गुजरिया, कहाँ दधि बेचन जाय,
 
प्यारे मोहनिया!
 
मथुरा की हम ग्वाल गुजरिया, गोकुल बेचन जाय!
 
प्यारे मोहनिया!
 
दधि लूटत नन्द को लाल, प्यारे मोहनिया -
 

 

 

 

 

25. लाला श्यामा वर्ण मनमोहना

लाला श्यामा वर्ण मनमोहना -
नदिया तीर की झोपड़ी, लाला घडिया-घडिया की तीस
की समझो मेरो बालमा लाला की समझो जगदीश.
लाला श्यामा वर्ण मनमोहना-
बाघ मीठीबाकरी बकरी को मीठो कान,
त्रिया जो मीठी सेज की वर्ष सोलह की जवान.
लाला श्यामा वर्ण मनमोहना-

 

26. सारे शहर सीता जागो रसिया

 सारे शहर सीता जागो रसिया!
सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया अंगना पार आवे!
भूकत है दुश्मन कुतिया ! सारे शहर जागे रसिया .........
जब रसिया दलिया पार आवे!
खांसत है दुश्मन बुढ़िया - सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया केवडा पर आये!
सौतन है दुश्मन केवडा .. सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया पलंग पर आये!
छनकत है दुश्मन चूड़ियाँ .. सारे शहर जागे रसिया !
जब रसिया माथ पर आवे!
छलकत है चूडिया... सारे शहर जागे रसिया सारे शहर सीता जी को रसिया!
जय कृष्ण कैन्हैया लाल की जय..

 

 

27. ब्रज मंडल देश देखो रसिया

 ब्रज मंडल देश देखो रसिया
 
ब्रज मंडल देश देखो रसिया
 
तेरे ब्रज में गाय बहुत,
पी पपी दूध भई पठियाँ 
ब्रज मंडल... 
तेरे ब्रज में धान बहुत,
फटक नारी कूटे रसिया !
ब्रज मंडल!
तेरे ब्रिज में गीत बहुत है,
गावे नारी सुने रसिया !
ब्रज मंडल!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

28. दधि लूटो नन्द को लाल

दधि लूटो नन्द को लाल
बेचन ना जाइयो ...  II.दधि  लूटो II
कहाँ के तुम , ग्वाल गुजरिया
कहाँ  दधि बेचन जाय   ---- बेचन ना जाइयो  I  दधि ....... I .
मथुरा के हम, ग्वाल गुजरिया,
गोकुल बेचन जाय -----------बेचन ना जाइयो  I  दधि लूटो ....I 
कौन रजा के , ग्वाल गुजरिया ,
कौन लला दधि खाय ----------बेचन ना जाइयो   I  दधि लूटो.... I
कंस रजा के , ग्वाल गुजरिया ,
कृष्ण लला दधि खाय ----------बेचन ना जाइयो   I  दधि लूटो ....I
दूध दही सबखाय लियो है,
मटकी देहो फोड़ ---------------बेचन ना जाइयो    I  दधि लूटो .....I
दधि मेरो खाय , मटकी मेरी फोड़ी ,
ना हक़ रार मचाय -------------बेचन ना जाइयो    I दधि लूटो .......I
जय पुकारू , कंस राजा  को ,
त्वे डारु मरवाय ----------------बेचन ना जाइयो    I दधि लूटो ........I
जाय पुकार , जहाँ तोही भावे,
मै का की परवाई ----------------बेचन ना जाइयो,   I  दधि लूटो ......I
कंस को मारू, कंसासुर  मारू ,
तब यशोदा को  लाल -------बेचन ना जाइयो           I  दधि लूटो.... I 
दधि लूटो नन्द के लाल ---बेचन जा जाइयो            I  दाढ़ी लूटो  I

 

29. हाँ हाँ हाँ  मोहन गिरधारी       

 हाँ हाँ हाँ  मोहन गिरधारी              II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II 
ऐसो   अनाड़ी चुनर गयो फाड़ी
हो हंसी हंसी दे गयो गारी ,
मोहन गिरधारी                         II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II  I
चीर चुराय कदम चढ़ी बैठ्यो ,
पातन जाय छिपोई ,
मोहन गिरधारी                         II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II
बांह पकड़ मोरी अंगुली मरोड़ी,
नाहक रार मचाय,
मोहन गिरधारी                        II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II
दधि मेरो खाय मटकी मेरी तोड़ी
हसी हसी दे गयो गारी
मोहन गिरधारी                         II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II
जमुना के तट पर बंसी के बट पर ,
अंगियां भिगागयो सारी
मोहन गिरधारी                        II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II
आवन कह गए अजहु आवै
झूठी प्रीत लगायी  ,
मोहन गिरधारी                        II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II
सांवल रूप अहीर को छोरो
नैनन की छवि न्यारी
मोहन गिरधारी                        II हाँ हाँ हाँ मोहन  ... II

 

 

30. तुम सिद्धि करो महाराज , होलिन के दिन में

तुम सिद्धि करो महाराज , होलिन के दिन में
तुम बिघ्न हरो महाराज , होलिन के दिन में
गणपति गौरी महेश मनाऊं,
इन सबको पूजूं आज , होलिन के दिन में ---II  तुम सिद्धि करो ...II
ब्रह्मा, विष्णु महेश मनाऊं
इन सबको पूजूं आज , होलिन के दिन में ----II  तुम सिद्धि करो ...II
राम, लक्ष्मण ,भरत, शत्रुघ्न ,
दशरथ के सरताज , होलिन के दिन में --------II  तुम सिद्धि करो ...II
जगदम्बा नव दुर्गा  देवी
अशुरण करे संहार , होलिन के दिन में ----------II  तुम सिद्धि करो ...II

 

 

 

31.  जा तू परदेसी घर जा रे बिरहन रोती रहे
जा तू परदेसी घर जा रे बिरहन रोती रहे
लिये यादों  की सौगात बिरहन रोती रहे

तपती दोपहरी , शाम उदासी ,
रातें बड़ी घनघोर, बिरहन रोती रहे ............II जा तू परदेसी....... II

सब घर आये , तुम नहीं आये
बिन सावन मेघा बरसाए
तकते रहे तेरी राह ,बिरहन रोती रही ...........II जा तू परदेसी....... II

चार दिनों की ये जिंदगानी , आग धुनी बनी अपनी कहानी
जो पल पल सुलगे जाय, बिरहन रोती रही.........II जा तू परदेसी....... II

जा तू परदेसी घर जा रे बिरहन रोती रहे
लिये यादों  की सौगात बिरहन रोती रहे

 

32.  रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंगसखी री उड़ते सातों रंग
भर पिचकारी ऐसी मारी, अंगियां हो गयी तंग
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
तबला बाजे, सारंगी बाजे, और बाजे मिरदंगसखी री और बाजे मिरदंग
कान्हा जी की बंसी बाजे, राधा जी के संग
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
कोरे कोरे माट मंगाये, तापर घोला रंग, सखी री तापर घोला रंग
भर पिचकारी सनमुख मारी, अंखिंया हो गयी बंद
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
लंहगा तेरा घूम घुमेला, चोली तेरी तंग
खसम तुम्हारे बड़ निकट्ठू , चलो हमारे संग
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग…. 

 

 

 

 

33. जोगी आयो शहर में व्योपारी

जोगी आयो शहर में व्योपारी -
अहा, इस व्योपारी को भूख बहुत है,
पुरिया पकै दे नथ-वाली,
जोगी आयो शहर में व्योपारी।
अहा, इस व्योपारी को प्यास बहुत है,
पनिया-पिला दे नथ वाली,
जोगी आयो शहर में व्योपारी।
अहा, इस व्योपारी को नींद बहुत है,
पलंग बिछाये नथ वाली
जोगी आयो शहर में व्योपारी -

 

34. तेरो हरियो पंख मुख लाल  सुवा , बोलिया  जन बोले बागा में

तेरो हरियो पंख मुख लाल  सुवा , बोलिया  जन बोले बागा में,   I   तेरो हरियो पंख I
 
बोलिया  जन बोले बागा में,                                            I   तेरो हरियो पंख I
कहाँ  से आये बदल रेखा , कहाँ  भयो घनघोर सुवा     -------------बोलिया......I
पूरब  से आये बदल रेखा , पश्चिम भयो घनघोर सुवा   ------------बोलिया......I
घन- घन गरजे बदल रेखा , रिमझिम बरसे मेघ सुवा  -------बोलिया......I
इत जन बरसे , उत जन बरसे , पिया गए परदेश सुवा  ------------बोलिया......I
काहे को भीगे सिर कि चुनरिया , कहे कि मलमल पाग  सुवा -----बोलिया......I 
मेरी जो भीगे सिर कि चुनरिया, सय्याँ के मलमल पाग सुवा ------बोलिया......I 
कहा सुकाऊं सिर की चुनरिया , कहा बलम की पाग सुवा      ------बोलिया......I 
धुप सुखाऊं सिर की चुनरिया , छाया पिया की पग सुवा      ------बोलिया......I
काहे के हाथ पतिया लिख भेजूं , काहे के हाथ  सन्देश सुवा   ------बोलिया......I
कागा के हाथ पतिया लिख भेजूं , पंछी के हाथ सन्देश सुवा   ------बोलिया......I
काहे फाड़ी के कागज बनाऊ, काहे पोछि के स्याही सुवा        ------बोलिया.......I
आँचल फाड़ी के कागज बनाऊ, कजरा  पोछि के स्याही सुवा------बोलिया........I
तेरो हरियो पंख मुख लाल  सुवा , बोलिया  जन बोले बागा में I